लेखक:
दुर्गा प्रसाद खत्री
दुर्गा प्रसाद खत्री जन्म 12 जुलाई, 1895 हिन्दी के मशहूर तिलिस्मी उपन्यासकार देवकीनंदन खत्री के सुपुत्र और उनकी परंपरा को आगे बढ़ाने वाले प्रख्यात उपन्यासकार दुर्गा प्रसाद खत्री ने अपने जीवन काल में अनेक प्रसिद्ध कहानियां और उपन्यास लिखे। उन्होंने अपने पिता की तरह ही तिलस्मी एवं ऐय्यारी के अलावा जासूसी, सामाजिक और अद्भुत, किंतु संभावित घटनाओं पर आधारित कई उपन्यासों की रचना की। उनकी रचनाओं को आज भी पाठक बड़े चाव से पढ़ते हैं। जीवन परिचय अपने पिता के उपन्यास ‘भूतनाथ’ को पूरा किया संसार चक्र अद्भुत किंतु संभाव्य घटनाचक्र पर आधारित उपन्यास है। |
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प्रतिशोधदुर्गा प्रसाद खत्री
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अंग्रेजों के क्रूर शासन से दुःखी होकर आखिर कुछ नवयुवकों ने सशस्त्र विद्रोह कर दिया और देश-द्रोहियों तथा अंग्रेजों के खुशामदी लोगों को भी दण्ड देना प्रारम्भ किया। परन्तु अंग्रेजों ने इस विद्रोह का प्रतिशोध लिया मक्कारी तथा नृशंस दमन से... आगे... |
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बलिदानदुर्गा प्रसाद खत्री
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यह आज की बात नहीं बहुत पुरानी है मगर फिर भी मुझे इस तरह याद है मानों इस घटना को हुए थोड़े ही दिन बीते हों। आगे... |
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महात्मादुर्गा प्रसाद खत्री
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एक महात्मा का अद्भुत हाल जिन पर कई दुष्टों ने एक साथ आक्रमण किया आगे... |
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लाल-पञ्जादुर्गा प्रसाद खत्री
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क्रान्तिकारी वैज्ञानिक उपन्यास आगे... |
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संसार-चक्रदुर्गा प्रसाद खत्री
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एक बहुत बड़े रईस को रोजगार में भारी नुकसान का सामना करना पड़ा जिसकी वजह से वह कर्ज में लद गया। दीवाले से बचने के लिये मजबूरी में उसने एक सुन्दर युवती की बहुत बड़ी रकम चुरा ली | |
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साकेतदुर्गा प्रसाद खत्री
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वैज्ञानिक उपन्यास आगे... |
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सागर-सम्राटदुर्गा प्रसाद खत्री
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वैज्ञानिक उपन्यास आगे... |
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सुवर्ण रेखादुर्गा प्रसाद खत्री
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हिन्दी में श्रेष्ठ वैज्ञानिक उपन्यास आगे... |
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स्वर्ग-पुरीदुर्गा प्रसाद खत्री
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उस अर्ध विक्षिप्त वैज्ञानिक ने इस धरती पर एक स्वर्ग-पुरी बनाई जिसमें सोने के फाटक, चाँदी के पुल, और शीशे के मकान थे। चुन-चुन कर विद्वान और गुणी जनों को इकट्ठा किया और सचमुच ही इसे स्वर्ग-पुरी बना दिया होता, यदि यहाँ नर्क के कीड़े न पहुंच जाते। |